उल्कापिंड पर अधिकार का मुकदमा अमेरिकी अदालत में
दैनिक भास्कर - 2010年2月5日
मार्क गलिनी की क्लीनिक में उल्कापिंड का एक टुकड़ा आकर गिरा१ डा. गलिनी ने कहा कि उल्कापिंड ठीक उसी जगह आकर गिरा जहां वह कुछ देर पहले बैठे हुए थे। डा. गलिनी और उनके एक सहयोगी ने यह टुकड़ा स्मिथसोनियन इंस्टीटच्यूट को देने के बारे में सोचा जिसके पास उल्कापिंड का सबसे बड़ा संग्रह है१ बाद में यह उल्कापिंड सुरक्षित रखने के लिए नेशनल म्यूजियम आफ नेचुरल हिस्ट्री को दे दिया गया। दोनों डाक्टरों को डर था कि इस पर उनके क्लिनिक के ...
एलियंस हैं हमारे पूर्वज !
दैनिक भास्कर - 2010年2月3日
उनके मुताबिक, पृथ्वी से टकराने वाले उल्कापिंड ही जीवन शुरू करने वाले तत्व अपने साथ यहां लाए थे। कार्डिफ यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर चंद्र विक्रमसिंघे ने कहा कि उनका शोध इस मत का प्रबल समर्थन करता है कि मानव जीवन की शुरुआत पृथ्वी के बाहर दूसरे ग्रह पर हुई थी। उनके मुताबिक, 380 करोड़ वर्ष पहले अंतरिक्ष से आए सूक्ष्मजीवियों से पृथ्वी पर जीवन के अंकुर फूटे थे। उल्कापिंडों के जरिए ये जीव अंतरिक्ष से पृथ्वी पर ...
जैव विविधता के कारण आकाशीय : प्रो. पालीवाल
दैनिक भास्कर - 2010年2月9日
इसका कारण उल्कापिंड गिरना या धूमकेतू करीब से निकलना हो सकता है। ये विचार प्रो. बी.एस. पालीवाल ने मंगलवार को जेएनवीयू जीव विज्ञान विभाग में थार रेगिस्तान में जैव विविधता विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में व्यक्त किए। सेमिनार के मुख्य अतिथि जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन माथुर, महाराजा गंगासिंह विवि के कुलपति डा. जी.आर. जाखड़ व मुख्य वक्ता प्रो. बी.एस. पालीवाल, पूर्व डीन फैकल्टी ऑफ साइंस थे। प्रो. ...
हम इंसान भी एलियन्स हैं!
नवभारत टाइम्स - 2010年2月5日
जब ये उल्काएं या उल्का पिंड पृथ्वी से टकराए तो उनके साथ माइक्रोब्स भी धरती में आए। तब जीवन माइक्रोब्स के रूप में ही था। इनमें से कुछ माइक्रोब्स टक्कर के बाद भी जिंदा रहे। ये माइक्रोब्स समय के साथ आपस में द्विगुणित हुए और जीवन के बीज का रूप धर लिया। विक्रमसिंघे कहते हैं कि हम एलियन्स हैं और इस ब्रह्मांड में हमारे पूर्वज हैं। उनके मुताबिक, हर प्लेनेटरी सिस्टम में उल्काओं के जरिए कुछ न कुछ ये माइक्रोब्स पहुंच जाते हैं। ...
राजस्थान में मिला ''स्टिशोवाइट''
प्रातःकाल - 2010年2月7日
पश्चिमी राजस्थान में उल्का-पिंड प्रभावित एक स्थान पर भूगर्भ वैज्ञानिक उस वक्त चौंक गए जब उन्होंने वहां 'क्वाट्र्ज' जैसा एक खनिज 'स्टिशोवाइट' देखा। 'क्वाट्र्ज' की तरह नजर आने वाला यह खनिज ठीक वैसा ही है जैसा महाराष्ट्र के मशहूर 'लोनर क्रेटर' झील के पास पाया गया था। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के विशेषज्ञों ने पश्चिमी राजस्थान के सिवना ज्वालामुखीय इलाके के मोकलसर-सिवना मार्ग पर 'स्टिशोवाइट' नामक खनिज के ...